जशपुर ✍️जितेन्द्र गुप्ता
खेल प्रतिभाओं के साथ अन्याय! जशपुर की एकलव्य खेल अकादमी बंद खिलाड़ियों में आक्रोश,पूर्व विधायक यू. डी. मिंज
ने जताया विरोध
खेलों के प्रति संकीर्ण सोच उजागर, आदिवासी खिलाड़ियों के सपनो को तोड़ने का काम कर रही है सरकार:-:-यू. डी. मिंज
भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में आदिवासी और पहाड़ी कोरवा युवाओं की खेल प्रतिभा को मंच देने के उद्देश्य से शुरू की गई एकलव्य खेल अकादमी को अब बंद करने की आशंका ने जिले के खिलाड़ियों और उनके परिजनों को गहरी चिंता में डाल दिया है।
तीन साल पहले जशपुर के रणजीता स्टेडियम में शुरू हुई यह अकादमी तीरंदाजी, तैराकी और ताईक्वांडो जैसे खेलों में प्रशिक्षण देकर आदिवासी युवाओं को राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाने का जरिया बनी। खनिज न्यास निधि (DMF) से संचालित इस आवासीय अकादमी ने अब तक 17 से अधिक गोल्ड, कई सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल राज्य और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में दिलवाए हैं।
लेकिन अब, जब खिलाड़ी ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद लौटे, तो उन्हें छात्रावास खाली कर दूसरे भवन में जाने का निर्देश दिया गया। प्रशासन की तरफ से यह तर्क दिया गया कि छात्रावास की मरम्मत की जा रही है, जबकि खिलाड़ियों और अभिभावकों का कहना है कि मरम्मत का बहाना बनाकर अकादमी को बंद करने की योजना चल रही है।
खास बात यह है कि भवन का रंग-रोगन हाल ही में हुआ था, ऐसे में यह सवाल उठता है कि ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान यह मरम्मत क्यों नहीं की गई? क्या यह जानबूझकर खिलाड़ियों के अभ्यास और प्रशिक्षण को बाधित करने की योजना है?
यू. डी. मिंज का आरोप: खेलों के प्रति सरकार की संकीर्ण सोच उजागर
जाने-माने समाजसेवी और खिलाड़ियों के संरक्षक पूर्व संसदीय सचिव यू. डी. मिंज ने इस फैसले की तीखी आलोचना करते हुए कहा है कि “एकलव्य खेल अकादमी को बंद करने का निर्णय सिर्फ एक अकादमी को खत्म करना नहीं, बल्कि उन आदिवासी खिलाड़ियों के सपनों को तोड़ना है, जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ और खासकर जशपुर का नाम रोशन किया है। भूपेश बघेल जी ने आदिवासी अंचलों की प्रतिभा को पहचान दी थी, लेकिन वर्तमान सरकार ने उस पहचान को नज़रअंदाज़ कर अपनी मानसिकता स्पष्ट कर दी है।”
खिलाड़ी बोले— प्रतियोगिताएं सिर पर, अभ्यास ठप
खिलाड़ियों ने बताया कि आगामी कुछ हफ्तों में राज्य और राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं शुरू हो रही हैं, लेकिन अभ्यास पूरी तरह से बाधित हो चुका है। छात्रावास से बाहर कर दिए जाने के कारण मानसिक तनाव और असमंजस बढ़ गया है।
क्या अब आदिवासी खेल प्रतिभाएं फिर से हाशिए पर चली जाएंगी?
अकादमी बंद करने की स्थिति में यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या सरकार आदिवासी क्षेत्र की खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने की बजाय उन्हें हाशिए पर धकेलना चाहती है?-यू. डी. मिंज अपील की है कि “मैं जिला प्रशासन और छत्तीसगढ़ शासन से अपील करता हूँ कि एकलव्य खेल अकादमी का संचालन पूर्ववत बहाल किया जाए। खिलाड़ियों को उचित प्रशिक्षण, छात्रावास और अभ्यास की व्यवस्था तत्काल सुनिश्चित की जाए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो यह पूरे आदिवासी समाज के साथ छल और विश्वासघात होगा।”
