पत्थलगांव ✍️जितेन्द्र गुप्ता
कछार मन्दिर में नवरात्र पर्व में भारी संख्या में भक्तों की उमड़ पड़ी है भीड़ दूर दूर से आते है कछार शिवशक्ति मन्दिर में माता रानी से आशीर्वाद मांगने भक्त
जैसे जैसे नवरात्र पर्व आगे बढ़ता जा रहा है वे तरह भक्तो की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। रविवार को मन्दिर परिसर पूरा भरा रहा आरती पश्चात माता की रसोई का प्रसाद है मुख्य आकर्षण सभी आये भक्तो को बिठाकर परोस कर दिया जाता है माता का रसोई
मन्दिर समिति के चिंटू अग्रवाल ने बताया कि सोमवार को मंदिर में आरती के बाद डांडिया खेला जाएगा नवरात्र पर्व में डांडिया खेलने की परंपरा है। इसके लिए मन्दिर समिति अपनी तैयारी पूरी करने में लगा है।
मन्दिर समिति के गोपाल गोयल ने बताया कि मन्दिर में मनोकामना ज्योत को देखने उनका आशीर्वाद प्राप्त करने सभी भक्त दिन से लेकर रात को लगातार पहुच रहे है। मान्यता है कि मन्दिर में ज्योत जलाए भक्तो की सभी मुरादे माता रानी अवश्य से पूरा करती है।
बनारस से आये कछार मन्दिर में पूजन कराने आये चन्द्रवेश्वर मिश्रा ने नवरात्र के सप्तम दिन का महत्व बताते हुए बताया कि नवरात्रि के सप्तम दिन मां कालरात्रि की उपासना का विशेष महत्व है। मां दुर्गा का यह स्वरूप हमें सिखाता है कि श्रद्धा और साहस से हर अंधकार पर विजय पाई जा सकती है। मां कालरात्रि से प्रार्थना है कि उनके आशीर्वाद से हर नकारात्मक शक्ति का नाश हो और समाज में शांति, समरसता और नई ऊर्जा संचार हो देवी भागवत के अनुसार मां कालरात्रि का सातवां स्वरूप कालिका यानी काले रंग का है और माता के विशाल केश चारों दिशाओं में फैले हुए हैं। मां कालरात्रि की चार भुजाएं और तीन नेत्र हैं। देवी भोलेनाथ के अर्ध्दनारीशवर रुप को दर्शाती हैं। कालरात्रि मां की चार भुजाओं में खड्ग, कांटा और गले में माला सुशोभित है।
नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा करने का विधान है। देवी भागवत के अनुसार विधि-पूर्वक देवी की पूजा करने से भूत, प्रेत और बुरी शक्तियों से छुटकारा मिलती है।
मान्यता है कि मां के इस स्वरूप से सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं। यही कारण है कि तंत्र-मंत्र करने वाले मां कालरात्रि की विशेष रूप से पूजा करते हैं। देवी को शुभंकरी, महायोगीश्वरी और महायोगिनी के नाम से भी जाना जाता है। मां के इस स्वरूप को वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है। माता का रंग काला होने के कारण इन्हें कालरात्रि कहा गया है। आइए जानते हैं नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा कैसे की जाएगी, मंत्र, भोग विधान और आरती
मां कालरात्रि की प्रतिमा को लाल कपड़ा के उपर बिराजमान करके षोडशोपचार पूजन करें लाल और नीले पुष्प अर्पित करें गुड से बने मालपुए का भोग लगाएं और प्रार्थना करें ऐसा करने से मान्यता है कि हमारे मनोभिलषित कामना अवश्य पूर्ण हो जाती है
